आओ घड़े संस्कारवान पीढ़ी के तहत हुआ यज्ञ के दौरान पुंसवन संस्कार

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पेटलावद।मालवा लाइ

अखिल विश्व गायत्री शक्तिपीठ के तत्वावधान में  शुक्रवार को आओ गढ़े संस्कारवान पीढ़ी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमे 108 गर्भवती महिलाओं का पुंसवन संस्कार किया गया। वही मुंडन संस्कार व अन्नप्राशन का आयोजन भी हुआ।

ज्ञात हो कि पेटलावद के उत्कृष्ट विद्यालय मैदान पर 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। इसी के तहत यह संस्कार आयोजित किए जा रहे है। पूर्व राज्यमंत्री मप्र शासन निर्मला भूरिया, रायपुरिया टीआई राजकुमार कुन्शमारिया विशेष रूप से उपस्थित होकर यज्ञ में अपनी आहुति दी।

मंच से शक्तिपीठ की ओर से साहित्य भेंटकर सम्मान किया गया। सभी वक्ताओं ने वैदिक कालीन संस्कारों की परंपम्परा को पुनः जाग्रत करने पर बल दिया। पुंसवन संस्कार एक तरह का आध्यत्मिक टीकाकरण है जो आत्मा के मलिन संस्कारों से मुक्ति दिलाता है। प्राचीनकाल में हमारे ऋषि संस्कारों के माध्यम से भावी पीढ़ी को युग के अनुकूल बनाते थे। आज यह परम्परा फिर से तेज करनी होगी। माँ के आहार विहार, चिंतन, जीवन शैली का गर्भस्थ शिशु पर पूरा असर होता है। माँ बच्चे की पहली गुरु है।  पुसंवन संस्कार से स्वस्थ, सुंदर और गुणवान संतान पूरी तरह संभव है। पुसंवन संस्कार गर्भवती महिला को आत्मिक रूप से सबल बनाता है। सामवेद में इस संस्कार का उल्लेख मिलता है। जब गर्भ जब दो-तीन महीने का होता है तब गर्भस्थ शिशु के पूरे विकास के लिए पुंसवन संस्कार किया जाता है। स्त्री के गर्भ में तीसरे महीने से शिशु का शरीर बनना शुरू हो जाता है जिसके कारण शिशु के अंग और संस्कार दोनों अपना स्वरूप बनाने लगते हैं। गर्भस्थ बच्चे पर माता-पिता के मन और स्वभाव का गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए माता को मानसिक रूप से गर्भस्थ शिशु की ठीक तरह से देखभाल करने योग्य बनाने के लिए यह संस्कार कराया जाता है।

 इससे पूर्व गायत्री मंत्र का जप हुआ। यज्ञ भगवान व मां गायत्री की आरती के साथ पूर्णाहुति की गई। यज्ञ के दूसरे दिन 251 जोड़ों ने यज्ञ में अपनी आहुतिया दी।

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