‘‘प्राकृतिक खेती विषय पर कृषि सखी के प्रशिक्षण का आयोजन‘‘ ‘‘स्वस्थ और समृद्ध समाज निर्माण में गुणवत्तायुक्त और घातक रसायनो से मुक्त खाद्यान्न की अपरिहार्य भूमिका’’ ‘‘प्राकृतिक खेती की विधाओ को जमीन पर उतारने की महती आवश्यकता - झाबुआ जिले में 24 अगस्त को कृषि सखी का प्रशिक्षण का आयोजन’’

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झाबुआ। प्रवीण बसेर

‘‘प्राकृतिक खेती का शंखनाद - कृषि सखी का जिला स्तरीय प्रशिक्षण आयोजन‘‘


प्रकृति के निकट रहने वाले झाबुआ जिले के किसानों को प्राकृतिक खेती के सैद्धांतिक और व्यावहारिक पक्ष की बेहतर समझ विकसित करते हुऐ जमीन पर उतारने की भरपूर संभावनाऐं है। जिले के किसानों को प्रचलित खेती पद्धति के स्थान पर प्राकृतिक खेती की ओर रूझान बढाने का समय आ गया है। प्रकृतिजन्य कृषिगत संसाधनों के बेहतर समन्वय और युक्तीयुक्त दोहन से न केवल खेती किसानी में लागत को कम किया जा सकता है, बल्कि गुणवत्तायुक्त खाद्यान्न उत्पादन के साथ-साथ बेहतर आय भी श्रृजित की जा सकती है। आज के समय में भागदौड भरी जीवनचर्या में आम नागरीक का बेहतर स्वास्थ्य एक अमूल्य निधि है। व्यक्ति के उत्तम स्वास्थ्य संर्वधन में किसान समुदाय की अपरिहार्य भूमिका है। दूरस्थ ग्रामीण अंचलो में रहने वाले परिवारो में छोटे बच्चों में कुपोषण की समस्या दिन-प्रतिदिन बढती जा रही है। गुणवत्तायुक्त और घातक रसायनो से मुक्त खाद्यान्न उत्पादित कर किसान एक अच्छे स्वस्थ और समृद्ध समाज निर्माण में अपरिहार्य भूमिका निर्वाहित कर सकता है। एक जिम्मेदार भारतीय नागरीक होने के नाते हम सभी का मौलिक कर्तव्य है कि हम आने वाले पीढी़ के लिये विरासत में संसाधनो से सम्पन्न धरा हस्तगत करें। नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग अंतर्गत आयोजित जिले की कृषि सखीयों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में अपने उद्गार व्यक्त करते हुऐ जिले के उप संचालक कृषि श्री नगीनसिंह रावत ने जिले में प्राकृतिक खेती को आत्मसात करने का आव्हान किया।   

मध्यप्रदेश में प्राकृतिक खेती पद्धति को सुनियोजित ढंग से अपनाने और बढावा देने के लिये प्रदेश के सभी जिलो में कृषि सखीयों के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है। इसी कडी में प्राकृतिक खेती विषय पर झाबुआ जिले में कृषि सखीयों के प्रशिक्षण का आयोजन दिनांक 24 अगस्त 2025 को आयोजित किया गया। कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. जगदीश मोर्य ने कार्यक्रम में उपस्थित कृषि सखीयों को प्रशिक्षण देते हुऐ प्राकृतिक खेती के सिद्धांतो की व्यावहारिक रूप में व्याख्या की। डॉ. जगदीश मोर्य ने प्राकृतिक खेती अपनाने के कारणों और इससे होने वाले दूरगामी लाभो पर भी प्रतिभागीयों को अवगत कराया। वर्तमान में घातक रसायनो के उपयोग के बल पर प्रचलित खेती किसानी के तरिको से होने वाले दूरगामी दूष्परिणाम से सचेत करते हुऐ प्राकृतिक खेती की महत्ता आवश्यकता और संभावना को सटीकता से रेखांकित किया। प्रशिक्षण के दौरान कृषि सखीयों की प्राकृतिक खेती से संबधित जिज्ञासाओं और समस्याओं का भी सरल स्वरूप में समाधान प्रस्तुत किया। प्रशिक्षण के दूसरे सत्र में उप परियोजना संचालक आत्मा श्री एम.एस.धार्वे और उनके सहयोगी बी.टी.एम./ए.टी.एम द्वारा प्राकृतिक खेती के आधारभूत अवयवों पर प्रायोगिक प्रशिक्षण भी दिया गया। गोबर, गौ-मूत्र, गुड़, बेसन, चूना, सजीव मिट्टी के साथ-साथ नीम इत्यादि पत्तीयों के संयोजन से जीवांमृत, नीमास्त्र का सजीव ढंग से निर्माण कर बताया।

10 बजे से देर शाम तक चले प्रशिक्षण के उद्घाटन सत्र में स्वागत उद्बोधन जिले के परियोजना संचालक आत्मा श्री गौरीशंकर त्रिवेदी ने दिया। कार्यक्रम संचालन श्रीमति भानुप्रिया बावनीया सहायक तकनीकी प्रबंधक आत्मा ने किया। प्रशिक्षण के दौरान सहायक संचालक श्री एस.एस.रावत, कृषि विकास अधिकारी श्री मुकेश झनिया, आत्मा के समस्त विकासखण्ड तकनीकी प्रबंधक तथा सहायक तकनीकी प्रबंधक सहित श्री ब्रजेश गोठवाल, श्री मनुएल भाबोर अपनी सक्रिय सहभागिता दर्ज की। 


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