मनोज जानी। टुडे रिपोर्टर
मध्य प्रदेश सड़क विकास प्राधिकरण 423 करोड़ में झाबुआ-रतलाम रोड बनवा रहा है। अभी के 7 मीटर चौड़े रोड को 10 मीटर का बनाया जा रहा है। टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और लगभग दो महीने पहले ठेका लेने वाली कंपनी को सड़क हैंड ओवर कर दी गई। अभी थांदला से खवासा की ओर और रतलाम के करीब निर्माण चल रहा है। सड़क कंपनी के हैंड ओवर होने के बावजूद भी इस रोड के दो टोल पर टैक्स वसूली बंद नहीं हुई।
झाबुआ-मेघनगर के बीच अंतरवेलिया में और रतलाम के पहले टोल बूथ हैं। हालांकि निजी वाहनों से टोल नहीं लिया जाता, लेकिन यात्री और भारवाहक वाहनों से वसूली होती है।
अब सवाल उठ रहे हैं कि जब रोड एमपीआरडीसी के पास है ही नहीं तो वो टोल किस बात का ले रहे हैं। वाहन मालिकों का कहना है, कई बार दूसरे रास्तों पर जाने के लिए भी टोल देना पड़ता है। अभी टोल वालों की जमकर चांदी है।
इसका कारण दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे पर जाने के लिए यही रास्ता उपयोग में आता है। गुजरात के हिस्से में एक्सप्रेस वे का काम अधूरा है। ऐसे में गुजरात के दाहोद की ओर से दिल्ली की ओर जाने के लिए फूलमाल से झाबुआ-रतलाम रोड का उपयोग किया जाता है। इसके बीच में अंतरवेलिया टोल आ जाता है। यहां बड़े वाहनों को टैक्स देना पड़ता है। लोग भी इसी यातायात को टोल बूथ बंद नहीं होने का कारण मान रहे हैं।
423 करोड़ में बन रहा झाबुआ-रतलाम रोड फूलमाल से रतलाम तक बनना है। इसके रास्ते में मेघनगर, थांदला, बामनिया, करवड़ और रतलाम जिले का रानीसिंग ऐसे कस्बे हैं, जहां सड़क शहर के अंदर से जाती है। आए दिन दुर्घटनाएं भी होती हैं।
झाबुआ-रतलाम रोड की मेघनगर में इतनी खराब स्थिति हो चुकी है।
पांच बायपास के 90 करोड़ के प्रस्ताव अटके, बामनिया आरओबी पर असमंजस-
वर्तमान में जो नक्शा है वो पुरानी सड़क पर ही है। ऐसे में एमपीआरडीसी ने अप्रैल में इन पांच जगह बायपास बनाने के प्रस्ताव शासन को भेजे थे। इसके लिए 90 करोड़ मांगे गए थे। लेकिन अब तक शासन ने इस प्रस्ताव पर निर्णय नहीं लिया। ऐसे में इन गांवों के आसपास काम भी शुरू नहीं हो सका है। दूसरी ओर बामनिया में दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक की फाटक पर रोड ओवरब्रिज बनाने के काम पर भी असमंजस बना हुआ है। अभी जहां से रोड जा रहा है, वहां इसे बनाना संभव नहीं है। बायपास स्वीकृत होता है तो आगे के निर्माण को लेकर योजना बनाई जाएगी।
गाड़ी मालिक बोले, रोड खराब फिर भी टोल-
यात्री वाहन संचालकों ने बताया, रतलाम तक जाने के लिए रोड भी खराब है। कई जगह गड्ढे हैं। इसके बावजूद टोल देना पड़ रहा है। रास्ते में निर्माण भी चल रहा है। गुजरात से रतलाम की ओर जाने वाले ट्राला चालक जयदेव ने बताया, थांदला से आगे 8 लेन एक्सप्रेस वे पर जाना है। लेकिन इसके पहले यहां टोल देना पड़ता है। टोल कर्मचारियों को समझाने पर भी वो नहीं मानते। ये वाली सड़क का तो उपयोग भी पूरा नहीं करते।
विभाग इस पर निर्णय लेगा-
अभी फूलमाल से थांदला के क्षेत्र में निर्माण शुरू नहीं किया है। टोल चालू या बंद करने को लेकर निर्णय विभाग द्वारा लिया जाएगा। जैसा भी निर्णय होगा, वैसी प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
-रामगोपाल हटीला, एजीएम, एमपीआरडीसी

