तबादला तो वैसे एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन आने जाने वाले के कार्य दिलो पर और दिमागों पर राज करते है। पेटलावद टीआई के तबादले के आदेश के साथ नरम गरम टिका टिप्पणी का दौर भी शुरू हो गया।
खेर! पेटलावद की शांत और सौम्य जनता को इससे कोई लेना देना नही है। लेकिन इतनी अपेक्षा तो जनता जरूर कर सकती है कि नए साहब अपने अंदाज में अब कसावट लायेंगे की भयमुक्त वातावरण मिले।
उम्मीद:नई पारी नए तेवर
पुलिस कप्तान के आदेश के बाद पेटलावद , रायपुरिया और सारंगी प्रभावित हुए है। सूची आते ही सोशल मीडिया पर हुई पोस्ट ने यह बता दिया कि आल इज वेल दिखाने में इधर उधर के रंगो को लाने की जुगत भी दिखलाई दी है।
सवाल यह भी है कि पुलिस का ख़ौफ़ गुंडे बदमाशों में है या नही यह आंकलन तो जनता तय करेगी।लेकिन नये साहब की नई पारी में इतनी उम्मीद तो की जा सकती है की अबकी बार खुले में चलने वाली खाई वाली, हर छोटे बड़े ढाबो पर बिकने वाली अवैध शराब पर अंकुश जरूर लगेगा।
गलत तो गलत है
आम तौर पर देखा गया कि इलाके में होने वाली हर छोटी बड़ी घटना के लिए भांजगड़ी होना आम बात हो गई है। ऐसे में पीड़ित परिवार को सर्वाधिक नुकसान होता है। भांजीगड़ी में पुलिस और भांजीगड़ी करने वाले के बिचौलिए की बल्ले बल्ले हो जाती है। इसी के साथ पेटलावद क्षेत्र में चल रहे अवैध व्यवसाय अवैध शराब बिक्री, जुआ, सट्टा, क्रिकेट का सट्टा इस पर पुलिस को सक्ति से लगाम लगाना होगी।
बाइकर्स बने हुए जान के दुश्मन-
प्रमुख चौराहे एवं राजकीय मार्ग पर पुलिस की टुकड़ी के खड़े रहकर केवल चालान बनाकर अपने टारगेट पूर्ण करने से काम नहीं चलेगा। पेटलावद पुलिस थाने में पदस्थ हुए नए टीआई को पेटलावद नगर के व्यस्ततम मार्गो से तेज गति से गुजरने वाले बाइकर एवं नाबालिक बच्चों पर लगाम लगाना होगी। लगाम ऐसी लगे के इनके पालकों पर भी कारवाई की जाए। तब जाकर पेटलावद के संभ्रांत लोगों की कई जाने जाने से बच सकेगी। इन बाइकर्स के कारण प्रतिदिन दुर्घटनाएं होना आम हो चुका है।
और अंत मे....
खैर जो भी हो जैसा भी हो जैसा भी चलता आया है। वह बरसों पुरानी परंपरा है। आशा करते हैं क्या आने वाले समय में भी परंपरा का निर्वहन तो हो लेकिन ऐसा कुछ भी हो जिससे पेटलावद शहर की जनता याद रखें। इस कार्य में कहां तक सफल हो पाएंगे यह तो आने वाला वक्त ही बता पाएगा।