शासकीय शिक्षक ने अपने भाई के साथ मिलकर बेच दी पुरखों की बेची हुई जमीन को फिर से
-धारा 420 में शासकीय शिक्षक के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने की मांग
पेटलावद। टुडे रिपोर्टर
जी, हां हेडिंग में बताई गई बात बिल्कुल सही है। आपको बता दें की जमीनों का खेल लंबे समय से भूमाफिया खेलते चले आ रहे हैं। जिसमें प्रशासन का कोई ठोस हस्तक्षेप नही होता आ रहा है। अवैध कॉलोनी का जहां जंजाल फैला हुआ है। वहीं अब शासकीय सेवक भी भोले भाले लोगों के साथ धोखाधड़ी करते हुए एक ही जमीन को एक से अधिक बार विक्रय कर रहे हैं। आश्चर्य तो तब होता है जब पैसे कमाने की भूख में शासकीय सेवा में रहते हुए भी किसी भी प्रकार का डर ही नहीं।
शायद शिक्षक महोदय को यह पता नहीं मामले में 420 का प्रकरण दर्ज होने के साथ नौकरी से भी हाथ धोना पड़ सकता है।
जी, हां हमारे पास इस मामले के पुख्ता सबूत हैं। जो बताते हैं कि एक शासकीय शिक्षक ने अपने भाई के साथ मिलकर एक जमीन को दोबारा विक्रय कर दिया। हमारे पास मौजूद दस्तावेज यह भी प्रमाण करते हैं कि उक्त शासकीय शिक्षक के पुरखों ने ही जमीन को सारंगी के एक व्यक्ति को विधिवत रजिस्टर्ड डॉक्यूमेंट से विक्रय की थी।
मामला 2 अप्रैल 1988 का है। तब से लेकर आज तक सारंगी वाले व्यक्ति का ही कब्जा चल रहा है। लेकिन शासकीय शिक्षक के नियत तब डोल गई जब रिकॉर्ड में भूल चुक चलते उक्त जमीन जो उनके खाते में से कम नही हुई और विक्रेता के नाम नही चढ़ी तो उन्होंने पेटलावद के ही दो लोगों के साथ मिलकर दो अन्य महिलाओं के नाम पर रजिस्ट्री दिनांक 18 अगस्त 2023 को करवा दी।
नामान्तरण को लेकर उक्त शिक्षक ने सीएम हेल्प लाइन तक शिकायत की ओर करवाई। यह भी धोखधड़ी का एक प्रमाण बन गया।
प्रमाणित सूत्र यह भी बताते हैं कि उक्त जमीन पर कब्जा करने की भी शर्त रखी गई थी। चुकी मामला विवादित साफ नजर आ रहा था। पर चुकी पैसे की भूख सब कुछ भूल गई। मामला पेटलावद के तहसीलदार न्यायालय में भी चला। दोनों पक्षों का नामांतरण भी हो गया। नामांतरण करना तहसीलदार न्यायालय का कर्तव्य व न्यायसंगत था सो हो गया। लेकिन इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस जगह पर भूमि विक्रय की गई वह पूर्णता अवैध कॉलोनी की श्रेणी में है। चुकी कॉलोनी अवैध है तो खाते में बची हुई भूमि रोड में अवैधानिक रूप से बची हुई है खाते में भूमि दिख रही है इस अनुसार नामंत्रण भी कर दिया। लेकिन मौके पर जगह है ही नहीं। अब एक भूमि के तीन दावेदार हैं। विक्रय करता एक ही परिवार के है। मामले में कुछ दलालों ने बिचौलिए की भूमिका पेश करते हुए समझौते की पेशकश जरूर की है।
हमारे पुख्ता सूत्र बताते हैं कि 8 लाख 50 हजार और डेढ़ लाख की दलाली देने पर बात समझौते पर आ चुकी है। हम आपको यहां यह बताना चाहेंगे कि लाख समझौता हो जाए लेकिन मामला 420 का है।
मामले की शिकायत जागरूक कार्यकर्ताओं ने कलेक्टर, संभाग आयुक्त, पुलिस अधीक्षक को करने का मन बनाया है और एक जमीन को अधिक लोगों को विक्रय करने वाले शिक्षक व उसके परिवार वालों को खिलाफ धारा 420 में प्रकरण दर्ज करने की मांग करेंगे। समझौता हो जाए लेकिन अपराध अपराध होता है क्योंकि अपराध अब रजिस्टर्ड
हो चुका है। इसलिए धोखाधड़ी का मामला बनना तय है। इसके बाद मामले को सीधे न्यायालय की शरण में भी ले जाया जाएगा।
खबर के अगली कड़ी में हम धोखाधड़ी करने वाले शिक्षक, खरीदार वह बिचोलियां के नाम का भी खुलासा करेंगे। जिससे सतर्कता बने और भोले भाले लोग धोखाधड़ी का शिकार होने से बचे।