जय श्री कृष्ण👏🏻
संस्थापक - प. पू. गुरूदेव आचार्यडाँ देवेन्द्र जी शास्त्री (धारियाखेडी)
मन्दसौर (म. प्र.)
09977943155
☀ ~ आज का श्रीविद्या पंचांग~☀
☀ 01 - May - 2022
☀ Mandsaur, India
☀~ श्रीविद्या पंचांग ~☀
🔅 तिथि प्रतिपदा +03:26 AM
🔅 नक्षत्र भरणी 10:10 PM
🔅 करण :
किन्स्तुघ्ना 02:39 PM
बव 02:39 PM
🔅 पक्ष शुक्ल
🔅 योग आयुष्मान 03:17 PM
🔅 वार रविवार
☀ सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ
🔅 सूर्योदय 05:55 AM
🔅 चन्द्रोदय 06:09 AM
🔅 चन्द्र राशि मेष
🔅 सूर्यास्त 06:58 PM
🔅 चन्द्रास्त 07:32 PM
🔅 ऋतु ग्रीष्म
☀ हिन्दू मास एवं वर्ष
🔅 शक सम्वत 1944 शुभकृत
🔅 कलि सम्वत 5124
🔅 दिन काल 01:02 PM
राक्षस संवत्सर
🔅 विक्रम सम्वत 2079
🔅 मास अमांत वैशाख
🔅 मास पूर्णिमांत वैशाख
☀ शुभ और अशुभ समय
☀ शुभ समय
🔅 अभिजित 12:00:58 - 12:53:08
☀ अशुभ समय
🔅 दुष्टमुहूर्त 05:13 PM - 06:06 PM
🔅 कंटक 10:16 AM - 11:08 AM
🔅 यमघण्ट 01:45 PM - 02:37 PM
🔅 राहु काल 05:20 PM - 06:58 PM
🔅 कुलिक 05:13 PM - 06:06 PM
🔅 कालवेला या अर्द्धयाम 12:00 PM - 12:53 PM
🔅 यमगण्ड 12:27 PM - 02:04 PM
🔅 गुलिक काल 03:42 PM - 05:20 PM
☀ दिशा शूल
🔅 दिशा शूल पश्चिम
☀ चन्द्रबल और ताराबल
☀ ताराबल
🔅 अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, आर्द्रा, पुष्य, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, अनुराधा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद
☀ चन्द्रबल
🔅 मेष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, कुम्भ
*अक्षय फलदायी “अक्षय तृतीया”*
03 मई 2022 मंगलवार को अक्षय तृतीया है ।
वैशाख शुक्ल तृतीया की महिमा मत्स्य, स्कंद, भविष्य, नारद पुराणों व महाभारत आदि ग्रंथो में है । इस दिन किये गये पुण्यकर्म अक्षय (जिसका क्षय न हो) व अनंत फलदायी होते हैं, अत: इसे 'अक्षय तृतीया' कहते है । यह सर्व सौभाग्यप्रद है ।
यह युगादि तिथि यानी सतयुग व त्रेतायुग की प्रारम्भ तिथि है । श्रीविष्णु का नर-नारायण, हयग्रीव और परशुरामजी के रूप में अवतरण व महाभारत युद्ध का अंत इसी तिथि को हुआ था ।
इस दिन बिना कोई शुभ मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य प्रारम्भ या सम्पन्न किया जा सकता है । जैसे - विवाह, गृह - प्रवेश या वस्त्र -आभूषण, घर, वाहन, भूखंड आदि की खरीददारी, कृषिकार्य का प्रारम्भ आदि सुख-समृद्धि प्रदायक है ।
*प्रात:स्नान, पूजन, हवन का महत्त्व*
इस दिन गंगा-स्नान करने से सारे तीर्थ करने का फल मिलता है । गंगाजी का सुमिरन एवं जल में आवाहन करके ब्राम्हमुहूर्त में पुण्यस्नान तो सभी कर सकते है । स्नान के पश्चात् प्रार्थना करें :
हे मुरारे ! हे मधुसुदन ! वैशाख मास में मेष के सूर्य में हे नाथ ! इस प्रात: स्नान से मुझे फल देनेवाले हो जाओ और पापों का नाश करों ।'
सप्तधान्य उबटन व गोमूत्र मिश्रित जल से स्नान पुण्यदायी है । पुष्प, धूप-दीप, चंदनम अक्षत (साबुत चावल) आदि से लक्ष्मी-नारायण का पूजन व अक्षत से हवन अक्षय फलदायी है ।
*जप, उपवास व दान का महत्त्व*
इस दिन किया गया उपवास, जप, ध्यान, स्वाध्याय भी अक्षय फलदायी होता है । एक बार हल्का भोजन करके भी उपवास कर सकते है । 'भविष्य पुराण' में आता है कि इस दिन दिया गया दान अक्षय हो जाता है । इस दिन पानी के घड़े, पंखे, (खांड के लड्डू), पादत्राण (जूते-चप्पल), छाता, जौ, गेहूँ, चावल, गौ, वस्त्र आदि का दान पुण्यदायी है । परंतु दान सुपात्र को ही देना चाहिए ।
*पितृ-तर्पण का महत्त्व व विधि*
इस दिन पितृ-तर्पण करना अक्षय फलदायी है । पितरों के तृप्त होने पर घर में सुख-शांति-समृद्धि व दिव्य संताने आती है ।
विधि : इस दिन तिल एवं अक्षत लेकर र्विष्णु एवं ब्रम्हाजी को तत्त्वरूप से पधारने की प्रार्थना करें । फिर पूर्वजों का मानसिक आवाहन कर उनके चरणों में तिल, अक्षत व जल अर्पित करने की भावना करते हुए धीरे से सामग्री किसी पात्र में छोड़ दें तथा भगवान दत्तात्रेय, ब्रम्हाजी व विष्णुजी से पूर्वजों की सदगति हेतु प्रार्थना करें ।
*आशीर्वाद पाने का दिन*
इस दिन माता-पिता, गोमाता की सेवा कर उनकी विशेष प्रसन्नता, संतुष्टि व आशीर्वाद प्राप्त करें । इसका फल भी अक्षय होता है ।
*अक्षय तृतीया का तात्त्विक संदेश*
'अक्षय' यानी जिसका कभी नाश न हो । शरीर एवं संसार की समस्त वस्तुएँ नाशवान है, अविनाशी तो केवल परमात्मा ही है । यह दिन हमें आत्म विवेचन की प्रेरणा देता है । अक्षय आत्मतत्त्व पर दृष्टी रखने का दृष्टिकोण देता है । महापुरुषों व धर्म के प्रति हमारी श्रद्धा और परमात्म प्राप्ति का हमारा संकल्प अटूट व अक्षय हो - यही अक्षय तृतीया का संदेश मान सकते हो
*अक्षय तृतीया*
'अक्षय' शब्द का मतलब है- जिसका क्षय या नाश न हो। इस दिन किया हुआ जप, तप, ज्ञान तथा दान अक्षय फल देने वाला होता है अतः इसे 'अक्षय तृतीया' कहते हैं। भविष्यपुराण, मत्स्यपुराण, पद्मपुराण, विष्णुधर्मोत्तर पुराण, स्कन्दपुराण में इस तिथि का विशेष उल्लेख है। इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका बड़ा ही श्रेष्ठ फल मिलता है। इस दिन सभी देवताओं व पित्तरों का पूजन किया जाता है। पित्तरों का श्राद्ध कर धर्मघट दान किए जाने का उल्लेख शास्त्रों में है। वैशाख मास भगवान विष्णु को अतिप्रिय है अतः विशेषतः विष्णु जी की पूजा करें।
स्कन्दपुराण के अनुसार, जो मनुष्य अक्षय तृतीया को सूर्योदय काल में प्रातः स्नान करते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करके कथा सुनते हैं, वे मोक्ष के भागी होते हैं। जो उस दिन मधुसूदन की प्रसन्नता के लिए दान करते हैं, उनका वह पुण्यकर्म भगवान की आज्ञा से अक्षय फल देता है।
भविष्यपुराण के मध्यमपर्व में कहा गया है वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया में गंगाजी में स्नान करनेवाला सब पापों से मुक्त हो जाता है | वैशाख मास की तृतीया स्वाती नक्षत्र और माघ की तृतीया रोहिणीयुक्त हो तथा आश्विन तृतीया वृषराशि से युक्त हो तो उसमें जो भी दान दिया जाता है, वह अक्षय होता है | विशेषरूप से इनमें हविष्यान्न एवं मोदक देनेसे अधिक लाभ होता है तथा गुड़ और कर्पूर से युक्त जलदान करनेवाले की विद्वान् पुरुष अधिक प्रंशसा करते हैं, वह मनुष्य ब्रह्मलोक में पूजित होता है | यदि बुधवार और श्रवण से युक्त तृतीया हो तो उसमें स्नान और उपवास करनेसे अनंत फल प्राप्त होता हैं |
अस्यां तिथौ क्षयमुर्पति हुतं न दत्तं ।
तेनाक्षयेति कथिता मुनिभिस्तृतीया ।
उद्दिश्य दैवतपितृन्क्रियते मनुष्यै: ।
तत् च अक्षयं भवति भारत सर्वमेव ।। – मदनरत्न
अर्थ : भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठरसे कहते हैं, हे राजन इस तिथि पर किए गए दान व हवन का क्षय नहीं होता है; इसलिए हमारे ऋषि-मुनियोंने इसे ‘अक्षय तृतीया’ कहा है । इस तिथि पर भगवानकी कृपादृष्टि पाने एवं पितरोंकी गतिके लिए की गई विधियां अक्षय-अविनाशी होती है
☀~ श्रीविद्या पंचांग ~☀
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श्रीविद्यापचांग
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मन्दसौर मध्यप्रदेश
आप का दिन शुभ हो
भारतमाता की जय
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