तन्मय चतुर्वेदी।मालवा LiVE
पेटलावद। हजरत शेर अली मस्त मस्तान ओढ़ी वाले दातार (रेअ) के सालाना उर्स का समापन शनिवार को महफिल ए रंग के साथ हो गया। आस्ताने ओलिया केबाहर स्थित महफिल खाने में कुल की महफिल हुई। सुबह महफिल खानें में 09:30 बजे रंग की महफील शुरू हुई, जिसमें जावरा से आए यूसुफ फारुख ने एक के बाद करकर कलाम पढ़े। कार्यक्रम में जब कव्वाली गाई जा रही थी तो उनके एक-एक कलाम पर नजराना देने के लिए लोग जा रहे थे। उन्होने ये कैसा जादू तूने निगाहे यार किया, ...कलाम पर उपस्थित लोगो की आंखो से पानी बह निकला।
दोपहर 1 बजे हजरत अमीर खुसरो द्वारा लिखित आज रंग है री मां रंग है...से कुल की महफिल का समापन हुआ। उर्स के दौरान आज रंग है री सखी ओढ़ी वाले बाबा के घर आज रंग है, आओ चिश्ती संग खेलें होली दातार के संग की जैसे ही कव्वाल ने पेश की तो पूरा शामियाना इत्र व गुलाब जल की खुश्बू से महक उठा। आस्ताने में कुल की रस्म हुई जिसमें फातेहा पढ़ी जाकर मुल्क में अमन चैन ओर खुशहाली की दुआ की गई।
पूरी महफील सजी केसरिया साफे से:
रंग की इस महफिल में कर किसी के सीर पर केसरिया साफे भी नजर आए रहे थे। इसी रंगारंग महफिल में यूसुफ फारुख ने अपनी कव्वाली पेश की। जिसे समाजजनो ने खूब सराहा। अंत में मेला बिछड़ो ही जाए, दातार तोरा मेला बिछड़ो ही जाए पढक़र रंग की महफिल का समापन हुआ।
विशाल शुद्ध सात्विक भंडारे का किया गया आयोजन:
सर्व समाज उर्स कमेटी के कार्यकर्ताओ ने बताया उर्स कमेटी की ओर से लंगर ए आम (विशाल शुद्ध सात्विक भंडारे) का आयोजन किया गया। लंगर में श्रद्धालुओं ने बड़-चढक़र हिस्सा लिया। उर्स कमेटी ने प्रशासन से लेकर हर किसी को इस धार्मिक आयोजन को सफल बनाने के लिए आभार माना है।
सैय्यद रफीक अली शाह मलंग को रतलाम से दी विदाई-
हजरत ओढ़ी वाले दातार का 19वा उर्स शनोशोकत से मनाया गया। इस उर्स की खास बात यह रही कि इतनी छोटी जगह इतने बड़े संत ताजदारे मलंगा हज़रत सैय्यद मासूम अली मलंग और उनके बालके सैय्यद रफीक अली शाह मलंग बाबा तशरीफ लाए थे। इस दौरान तीनो दिन तक उनसे कई मूरीदाने बने और सवाब कमाया। उर्स कमेटी के सदस्यों ने रफीक बाबा को रतलाम रेलवे स्टेशन से अंतिम विदाई दी और रफीक बाबा साहब से उनके हक में दुआए करवाई।
सिर्वी समाज सकल पंच ने किया मुस्लिम समाजजनों का सम्मान-
उर्स के मौके पर बाबा के आस्ताने पर सीरवी सकल पंच भी पहुंचा। यहां उन्होंने मुस्लिम समाजजनो का सम्मान किया। सम्मान में उन्होंने मक्का मदीना की तस्वीर भेंट की। यह दृश्य अपने आप में एकता भाईचारे की मिसाल कायम की।