☀ ~ आज का श्रीविद्या पंचांग~☀ ☀ 01 - Aug - 2022

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जय श्री कृष्ण👏🏻

संस्थापक -  प. पू. गुरूदेव आचार्यडाँ देवेन्द्र जी शास्त्री (धारियाखेडी)

मन्दसौर (म. प्र.)

09977943155



☀ ~ आज का श्रीविद्या  पंचांग~☀


☀ 01 - Aug - 2022

☀ Mandsaur, India


☀~ श्रीविद्या  पंचांग ~☀

    

🔅 तिथि  चतुर्थी  +05:15 AM

🔅 नक्षत्र  पूर्वा फाल्गुनी  04:07 PM

🔅 करण :

           वणिज  04:50 PM

           विष्टि  04:50 PM

🔅 पक्ष  शुक्ल  

🔅 योग  परिघ  07:03 PM

🔅 वार  सोमवार  


☀ सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ    

🔅 सूर्योदय  05:58 AM  

🔅 चन्द्रोदय  08:54 AM  

🔅 चन्द्र राशि  सिंह  

🔅 सूर्यास्त  07:13 PM  

🔅 चन्द्रास्त  09:42 PM  

🔅 ऋतु  वर्षा  


☀ हिन्दू मास एवं वर्ष    

🔅 शक सम्वत  1944  शुभकृत

🔅 कलि सम्वत  5124  

🔅 दिन काल  01:14 PM  

       राक्षस संवत्सर

🔅 विक्रम सम्वत  2079  

🔅 मास अमांत  श्रावण  

🔅 मास पूर्णिमांत  श्रावण  


☀ शुभ और अशुभ समय    

☀ शुभ समय    

🔅 अभिजित  12:09:24 - 13:02:23

☀ अशुभ समय    

🔅 दुष्टमुहूर्त  01:02 PM - 01:55 PM

🔅 कंटक  08:37 AM - 09:30 AM

🔅 यमघण्ट  12:09 PM - 01:02 PM

🔅 राहु काल  07:37 AM - 09:17 AM

🔅 कुलिक  03:41 PM - 04:34 PM

🔅 कालवेला या अर्द्धयाम  10:23 AM - 11:16 AM

🔅 यमगण्ड  10:56 AM - 12:35 PM

🔅 गुलिक काल  02:15 PM - 03:54 PM

☀ दिशा शूल    

🔅 दिशा शूल  पूर्व  


☀ चन्द्रबल और ताराबल    

☀ ताराबल  

🔅 अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, आर्द्रा, पुष्य, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, अनुराधा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद  

☀ चन्द्रबल  

🔅 मिथुन, सिंह, तुला, वृश्चिक, कुम्भ, मीन


*सहपरिवार सादर आमंत्रित*

श्रावण मास के पवित्र अवसर पर 11 लाख पार्थिव शिवलिंग निर्माण एवं महा रुद्राभिषेक महोत्सव एवं *श्रीमद् भागवत भक्ति महोत्सव 4 से 10 अगस्त तक*

कष्टभंजन रामायण मित्र मंडल बनी द्वारा मास पारायण रात्रि 8:00 बजे से 11:00 बजे तक दिनांक 14 जुलाई से 12 अगस्त 2022 तक

*स्थान श्री कृष्ण कामधेनु गौशाला हरिहर आश्रम बनी तह० पेटलावद जिला झाबुआ मध्य प्रदेश*


*काल सर्प योग* 

02 अगस्त 2022 मंगलवार को नाग पंचमी है ।

नाग पंचमी के दिन , जिन को काल सर्प योग है , वे शांति के लिए ये उपाय करे | पंचमी के दिन पीपल के नीचे, एक दोने में कच्चा दूध रख दीजिये , घी का दीप जलाए , कच्चा आटा , घी और गुड मिला कर एक छोटा लड्डू बना के रख दे और ये मन्त्र बोला कर प्रार्थना करें :-

ॐ अनंताय नमः

ॐ वासुकाय नमः

ॐ शंख पालाय नमः

ॐ तक्षकाय नमः

ॐ कर्कोटकाय नमः

ॐ धनंजयाय नमः

ॐ ऐरावताय नमः

ॐ मणि भद्राय नमः

ॐ धृतराष्ट्राय नमः

ॐ कालियाये नमः

काल सर्प योग है तो उस का प्रभाव निकल जाएगा तकलीफ दूर होगी काल सर्प योग की शांति होगी

        *नागपंचमी* 

श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व  02 अगस्त, मंगलवार को है। इस दिन नागों की पूजा करने का विधान है। हिंदू धर्म में नागों को भी देवता माना गया है। महाभारत आदि ग्रंथों में नागों की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है। इनमें शेषनाग, वासुकि, तक्षक आदि प्रमुख हैं। नागपंचमी के अवसर पर हम आपको ग्रंथों में वर्णित प्रमुख नागों के बारे में बता रहे हैं-

 *कर्कोटक नाग*

कर्कोटक शिव के एक गण हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सर्पों की मां कद्रू ने जब नागों को सर्प यज्ञ में भस्म होने का श्राप दिया तब भयभीत होकर कंबल नाग ब्रह्माजी के लोक में, शंखचूड़ मणिपुर राज्य में, कालिया नाग यमुना में, धृतराष्ट्र नाग प्रयाग में, एलापत्र ब्रह्मलोक में और अन्य कुरुक्षेत्र में तप करने चले गए।

ब्रह्माजी के कहने पर कर्कोटक नाग ने महाकाल वन में महामाया के सामने स्थित शिव  लिंग की स्तुति की। शिव ने प्रसन्न होकर कहा- जो नाग धर्म का आचरण करते हैं, उनका विनाश नहीं होगा। इसके बाद कर्कोटक नाग उसी शिवलिंग में प्रवेश कर गया। तब से उस लिंग को कर्कोटेश्वर कहते हैं। मान्यता है कि जो लोग पंचमी, चतुर्दशी और रविवार के दिन कर्कोटेश्वर शिवलिंग की पूजा करते हैं उन्हें सर्प पीड़ा नहीं होती।

 *कालिया नाग*

श्रीमद्भागवत के अनुसार, कालिया नाग यमुना नदी में अपनी पत्नियों के साथ निवास करता था। उसके जहर से यमुना नदी का पानी भी जहरीला हो गया था। श्रीकृष्ण ने जब यह देखा तो वे लीलावश यमुना नदी में कूद गए। यहां कालिया नाग व भगवान श्रीकृष्ण के बीच भयंकर युद्ध हुआ। अंत में श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को पराजित कर दिया। तब कालिया नाग की पत्नियों ने श्रीकृष्ण से कालिया नाग को छोडऩे के लिए प्रार्थना की। तब श्रीकृष्ण ने उनसे कहा कि तुम सब यमुना नदी को छोड़कर कहीं और निवास करो। श्रीकृष्ण के कहने पर कालिया नाग परिवार सहित यमुना नदी छोड़कर कहीं और चला गया।

इनके अलावा कंबल, शंखपाल, पद्म व महापद्म आदि नाग भी धर्म ग्रंथों में पूज्यनीय बताए गए हैं।


☀~ श्रीविद्या  पंचांग ~☀


कार्यालय

श्रीविद्यापचांग

सिद्धचक्र विहार 

मन्दसौर मध्यप्रदेश 

आप का दिन शुभ हो 

भारतमाता की जय

09977943155

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