पेटलावद हादसा:
साहस, नेतृत्व क्षमता और अनुभवी सूझबूझ से पुलिस निरीक्षक दिनेश शर्मा ने बचाई कई जिंदगियां
पेटलावद। मनोज जानी
मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के पेटलावद में हुए भवन हादसे ने पूरे क्षेत्र को गहरे शोक में डाल दिया। निर्माणाधीन भवन की छत गिरने से हुए इस हादसे में दो मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि तीन मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गए। यह हादसा उस समय हुआ जब भवन के निर्माण कार्य में लगे मजदूर छत की भराई का काम कर रहे थे।
इस त्रासदी के बीच, पुलिस निरीक्षक दिनेश शर्मा ने अपने साहस, सूझबूझ और नेतृत्व क्षमता का परिचय देते हुए न केवल राहत एवं बचाव कार्य को सफलतापूर्वक संचालित किया, बल्कि खुद भी जुटे रहे। उनकी त्वरित कार्रवाई और निर्णय क्षमता के चलते मौके पर तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया, जिससे और अधिक जान-माल की हानि को टाला जा सका।
उल्लेखनीय है कि पेटलावद के थांदला रोड पर स्थित निर्माणाधीन भवन में छत भराई का कार्य किया जा रहा था। मजदूर निर्माण कार्य में व्यस्त थे कि अचानक छत का एक बड़ा हिस्सा भरभराकर गिर पड़ा। हादसे की भयावहता इतनी थी कि कुछ ही पलों में चीख-पुकार मच गई और वहां मौजूद मजदूरों में अफरातफरी का माहौल बन गया।
छत गिरते ही कुछ मजदूर मलबे के नीचे दब गए, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई। हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने तुरंत प्रशासन और पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलते ही पुलिस निरीक्षक दिनेश शर्मा अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और बिना देरी किए राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिया।
पुलिस निरीक्षक दिनेश शर्मा की महत्वपूर्ण भूमिका-
01. त्वरित निर्णय क्षमता और नेतृत्व कौशल-
दिनेश शर्मा ने घटनास्थल पर पहुंचते ही स्थिति का जायजा लिया और तत्काल प्रभावी कदम उठाए। उन्होंने मौके पर मौजूद पुलिस बल को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी, ताकि राहत कार्य तेजी से किया जा सके।
उन्होंने तुरंत जेसीबी और क्रेन मंगवाने के निर्देश दिए, जिससे मलबे में फंसे लोगों को बाहर निकाला जा सके। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि एंबुलेंस और चिकित्सा सहायता तुरंत उपलब्ध हो।
02. खुद मोर्चा संभालकर बहादुरी का परिचय-
अक्सर देखा जाता है कि अधिकारी केवल निर्देश देते हैं और बचाव कार्य की निगरानी करते हैं, लेकिन दिनेश शर्मा ने खुद को भी इस कठिन कार्य में झोंक दिया। वह बिना किसी भय के मलबे के करीब पहुंचे और अपने हाथों से मिट्टी हटाकर दबे हुए मजदूरों को निकालने में सहयोग किया।
स्थानीय नागरिकों और मजदूरों के अनुसार, उन्होंने न केवल अपनी टीम का नेतृत्व किया बल्कि खुद भी बचाव अभियान का हिस्सा बने। उनकी यह कार्यशैली पुलिस बल के लिए भी प्रेरणादायक बनी।
03. विपरीत परिस्थितियों में साहस का परिचय-
रेस्क्यू ऑपरेशन बेहद जोखिम भरा था। मलबे में दबे मजदूरों तक पहुंचने के लिए भारी-भरकम अवरोधों को हटाना जरूरी था, लेकिन एक छोटी सी गलती से और भी बड़ा हादसा हो सकता था।
दिनेश शर्मा ने अपनी सूझबूझ और अनुभव का परिचय देते हुए सावधानीपूर्वक रणनीति बनाई और मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए उचित साधनों का उपयोग किया। उनकी हिम्मत और तत्परता की वजह से तीन मजदूरों की जान बचाई जा सकी।
04. पुलिस टीम और स्थानीय प्रशासन के बीच समन्वय
आपदा प्रबंधन में पुलिस और स्थानीय प्रशासन के बीच तालमेल बेहद जरूरी होता है। दिनेश शर्मा ने अपने अनुभव का उपयोग करते हुए प्रशासन, दमकल विभाग, एंबुलेंस सेवा और स्थानीय स्वयंसेवकों के साथ बेहतर समन्वय स्थापित किया।
उन्होंने ट्रैफिक व्यवस्था को संभालने के लिए पुलिस टीम को निर्देश दिए ताकि बचाव कार्य में किसी प्रकार की बाधा न आए। इसके अलावा, अस्पताल प्रशासन को पहले से सूचित किया गया, जिससे घायलों का उपचार बिना किसी देरी के शुरू हो गया।
स्थानीय नागरिक बोले,-
धन्यवाद पेटलावद पुलिस!-
इस हादसे के दौरान और बाद में स्थानीय नागरिकों ने दिनेश शर्मा की बहादुरी और नेतृत्व क्षमता की सराहना की। स्थानीय निवासी रमेश पाटीदार ने कहा, "जब हमने देखा कि दिनेश शर्मा खुद मलबे में दबे लोगों को निकालने में लगे हुए हैं, तो हमें यकीन हो गया कि प्रशासन हमारी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उनकी तत्परता के कारण ही आज तीन मजदूरों की जान बचाई जा सकी।" इस कार्य मे पवन चौहान, मुकेश सोलंकी, महेश भामदरे, महेंद्र पटेल,विवेक शर्मा, पप्पू बामनिया, वि.एस. कलेश, प्रकाश भगोर, घनश्याम मालविया, मुकेश, राहुल वसुनिया, अर्पित लोहार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके साथ मंडल अध्यक्ष संजय कहार, नप अध्यक्ष प्रतिनिधि योगेश गामड़, रवि गुर्जर, पप्पू भाई, भी राहत कार्य मे साथ रहे।
वहीं, एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी राजेश वर्मा ने कहा, "दिनेश शर्मा ने सिर्फ अपने कर्तव्य का पालन नहीं किया, बल्कि इंसानियत की भी मिसाल पेश की। आमतौर पर अधिकारी आदेश देते हैं, लेकिन उन्होंने खुद मौके पर जाकर कार्य किया। उनकी कार्यशैली अनुकरणीय है।"
आपदा प्रबंधन में दिनेश शर्मा का योगदान क्यों महत्वपूर्ण है?
01. पुलिस और जनता के बीच विश्वास मजबूत हुआ-
पेटलावद हादसे में दिनेश शर्मा की तत्परता ने जनता और पुलिस के बीच विश्वास को और मजबूत किया है। जब जनता देखती है कि एक पुलिस अधिकारी न केवल आदेश देता है बल्कि खुद भी मौके पर उतरकर लोगों की जान बचाने का प्रयास करता है, तो उनका पुलिस पर भरोसा बढ़ता है।
02. पुलिस प्रशासन के लिए एक मिसाल-
इस घटना से यह स्पष्ट हो गया कि पुलिस प्रशासन केवल कानून-व्यवस्था बनाए रखने तक सीमित नहीं होता, बल्कि आपदा प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दिनेश शर्मा की कार्यशैली अन्य पुलिस अधिकारियों के लिए प्रेरणा बन सकती है।
पेटलावद हादसे ने एक ओर जहां स्थानीय निकाय की लापरवाही को उजागर किया, वहीं दूसरी ओर पुलिस निरीक्षक दिनेश शर्मा जैसे अधिकारियों की कर्तव्यनिष्ठा और साहस को भी सामने लाया। उन्होंने इस त्रासदी में न केवल राहत कार्य को सफलतापूर्वक संचालित किया, बल्कि खुद भी इसमें बढ़-चढ़कर भाग लिया। उनकी तत्परता, निर्णय क्षमता और साहस के कारण ही कई लोगों की जान बचाई जा सकी। दिनेश शर्मा का यह कार्य केवल एक पुलिस अधिकारी की जिम्मेदारी तक सीमित नहीं था, बल्कि यह एक मिसाल थी कि जब नेतृत्व सही दिशा में हो, तो संकट के समय भी प्रभावी समाधान निकाला जा सकता है।
भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए प्रशासन को निर्माण स्थलों की नियमित जांच करनी चाहिए। पुलिस प्रशासन को आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण को अधिक प्रभावी बनाना चाहिए ताकि ऐसी परिस्थितियों में और अधिक जानें बचाई जा सकें। दिनेश शर्मा की कार्यशैली अन्य पुलिस अधिकारियों के लिए एक प्रेरणा है और उनके प्रयासों को सरकारी स्तर पर सराहा जाना चाहिए।
पेटलावद हादसे के बाद जो भी हुआ, उसमें सबसे सकारात्मक बात यह रही कि पुलिस निरीक्षक दिनेश शर्मा ने विपरीत परिस्थितियों में भी साहस, सूझबूझ और नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया। उनकी बहादुरी और तत्परता ने साबित कर दिया कि एक सच्चा अधिकारी केवल आदेश देने वाला नहीं, बल्कि संकट की घड़ी में जनता के साथ खड़ा रहने वाला होता है।