जिले के दो ब्लॉक थांदला और पेटलावद के करीब 22 मरीजों के पैसे और समय की होगी बचत सिविल अस्पताल : इस महीने से शुरू होगा डायलिसिस

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 पेटलावद। मनोज जानी

 सिविल हॉस्पिटल में डायलिसिस मशीन की सुविधा मरीजों को शीघ्र ही मिलने जा रही है। अब तक विकासखंड की 77 ग्राम पंचायतों के साथ ही नगर परिषद एवं अस्पताल के किडनी मरीजों को डायलिसिस के लिए जिला मुख्यालय के साथ ही गुजरात के दाहोद और समीप के रतलाम जिले में लंबी दूरी तय कर जाना पड़ता था। जहां डायलिसिस के खर्च के साथ ही परिवहन का खर्च भी अधिक वहन करना पड़ता था। क्योंकि मरीजों की स्थिति के अनुसार उन्हें सप्ताह में एक से तीन बार भी डायलिसिस की आवश्यकता होती है। नगर में यही सिविल अस्पताल में जल्द ही डायलिसिस की सुविधा मिलने लगेगी।
बीएमओ डॉ. एमएल चोपड़ा ने बताया कि डायलिसिस मशीन लगाने की प्रक्रिया चल रही है। सिविल हॉस्पिटल के एक कक्ष में व्यवस्था इंजीनियरों की देखरेख में की जा रही है। संभावना जताई जा रही है कि जुलाई महीने में ही डायलिसिस की सेवाएं क्षेत्र के मरीजों को शासन स्तर से नियुक्त डायलिसिस एक्सपर्ट टीम द्वारा दी जाएगी। यह सुविधा अब तक जिला अस्पताल में ही मिल रही थी।
जिला अस्पताल के डायलिसिस प्रभारी डॉ. एम किराड़ ने बताया कि डायलिसिस एक चिकित्सा प्रक्रिया है जो गुर्दे के काम को प्रतिस्थापित करती है, खासकर तब जब गुर्दे शरीर से अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को प्रभावी ढंग से निकालने में सक्षम नहीं होते हैं। यह एक जीवन रक्षक प्रक्रिया है जो गुर्दे की विफलता या किडनी रोग से पीड़ित लोगों के लिए आवश्यक है। डायलिसिस के दो मुख्य प्रकार होते है। जिसमें पहला हेमोडायलिसिस, इस प्रक्रिया में, रक्त को शरीर से बाहर निकाला जाता है और मशीन में प्रवाहित किया जाता है जो इसे साफ करती है, फिर साफ रक्त को वापस शरीर में पहुंचा दिया जाता है। वहीं दूसरी पेरिटोनियल
डायलिसिस, इस प्रक्रिया में एक विशेष तरल को पेट (पेरिटोनियल गुहा) में इंजेक्ट किया जाता है, जो अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थों को सोख लेता है। तरल को फिर पेट से हटा दिया जाता है। यह प्रक्रिया डायलिसिस गुर्दे की विफलता से पीड़ित लोगों के लिए जीवन को बनाए रखने और उनकी गुणवत्ता में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वर्तमान में पेटलावद के साथ ही थांदला में मिलाकर करीब 22 मरीज डायलिसिस करा रहे है। इनके अलावा प्राइवेट अस्पतालों में जाने वाले अन्य मरीज भी हो सकते है। इस प्रक्रिया में एक मरीज को करीब 3 से 4 घंटे की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।

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