मालवा लाइव। थांदला
थांदला। जैन धर्म में तप आराधना के विभिन्न माध्यम हैं और जब बिना किसी प्रतिफल की इच्छा रखते हुए आराधना करते हैं तो वह तप कर्म निर्जरा का हेतु बन जाता है। वहीं उत्कृष्टता की दृष्टि से देखें तो ओलीजी की तपाराधना विशिष्ट महत्वपूर्ण होकर शीर्ष क्रम में मानी जाती है। आराधक भीषण गर्मी के चलते भी यह आराधना करते हैं। इसी के अंतर्गत यहाँ ओलीजी तपाराधना का आयोजन हुआ। आचार्य श्री उमेशमुनिजी के शिष्य एवं प्रवर्तक श्री जिनेंद्रमुनिजी के आज्ञानुवर्ती तत्वज्ञ पूज्यश्री धर्मेंद्रमुनिजी, तपस्वीश्री दिलीपमुनिजी, गिरीशमुनिजी, प्रशस्तमुनिजी, सुयशमुनिजी ठाणा-5 यहाँ पौषध भवन पर व साध्वी पूज्यश्री निखिलशीलाजी, दिव्यशीलाजी, प्रियशीलाजी, दीप्तिजी ठाणा-4 दौलत भवन महिला स्थानक पर विराजित हैं। संत - सती मंडल के सानिध्य में यहाँ प्रतिदिन विविध आराधना कार्यक्रम में श्रावक-श्राविकाएँ उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं। तत्वज्ञ पूज्य श्री धर्मेंद्रमुनिजी एवं मुनिमंडल तथा साध्वी पूज्य श्री निखिलशीलाजी व साध्वीवृंद की निश्रा में 8 अप्रैल से नौ दिवसीय नवपद आयंबिल ओलीजी तपाराधना का सामूहिक आयोजन प्रारंभ होकर 16 अप्रैल को समापन होगा। कई आराधकों को इस प्रसंग के आने का बेसब्री से इंतजार रहता हैं। इस आराधना में बड़ी संख्या में आराधक शामिल होकर ओलीजी की तपाराधना करते हैं।
*गुप्त महानुभाव हैं ओलीजी कराने के लाभार्थी*
ओलीजी की व्यवस्थापक लता सोनी ने बताया कि नौ दिवसीय आयंबिल ओलीजी एवं सामूहिक पारणे करवाने का लाभ गुप्त लाभार्थी ले रहा है। ओलीजी तपाराधना के प्रथम दिन 8 अप्रैल को प्रवर्तक श्री सूर्यमुनिजी की व 10 अप्रैल को प्रवर्तक श्री ताराचंदजी की पुण्यतिथि, 12 अप्रैल को क्रियोद्वारक जैनाचार्य श्री धर्मदासजी की जन्म जयंती एवं 14 अप्रैल को आराध्य प्रभु श्रमण भगवान महावीर स्वामी का जन्म कल्याणक एवं आचार्य श्री उमेशमुनिजी की दीक्षा जयंती आदि कार्यक्रम विविध आराधनाओं के साथ उत्साहपूर्वक मनाए गए।
इन प्रसंगों पर पौषध भवन में विशेष गुणानुवाद सभा भी आयोजित हुई।
*पक्खी पर्व मनाया गया*
ओलीजी तपाराधना के आठवें दिन 15 अप्रैल को मुनिमंडल एवं साध्वीवृंद के सानिध्य में 'पक्खी पर्व' जप, तप, त्याग, तपस्या के साथ मनाया गया।इस दिन ओलीजी तपाराधको के अलावा भी कई आराधकों ने उपवास,आयंबिल, निवि आदि विविध तपाराधना की।शाम को पक्खी प्रतिक्रमण में भी बड़ी संख्या में आराधकों ने भाग लेकर पक्खी प्रतिक्रमण किया।
16 अप्रैल को तपाराधना का नवमा एवं अंतिम दिवस होगा। 17 अप्रैल को स्थानीय महावीर भवन पर तपाराधकों के सामूहिक पारणे का आयोजन होगा। पारणे के पूर्व नवकार महामंत्र की सामूहिक स्तुति होगी।
*ओलीजी तप आराधना में विगयरहित आहार ग्रहण करते हैं*
गौरतलब है कि इस आराधना के तहत ओलीजी के तपस्वी दूध, दही, घी, तेल, शकर, गुड़, मिर्च, मसाला आदि विगय रहित (केवल उबला एवं सिका हुआ) आहार ग्रहण करते हैं। इसमें ये तपस्वी दिन में एक बार एक बैठक पर प्रतिदिन नौ दिनों तक क्रमानुसार चांवल, गेहूं, चना, मूंग, उड़द एवं शेष 4 दिन चांवल से निर्मित आहार आयंबिल के रूप में ग्रहण करते हैं। इसमें सूर्योदय के 48 मिनिट बाद से (नवकारसी आने पर) सूर्यास्त के पूर्व तक ही अचित (धोवन या गरम) जल ग्रहण कर सकते हैं।
*अनमोल सेवाएँ दी*
आयंबिल ओलीजी तपाराधना के दौरान नौ दिनों तक श्रावक-श्राविकाओं, बालक-बालिकाओं के साथ समाज के वरिष्ठजन एवं कार्यकर्ताओं ने भी तपस्वियों के तप की अनुमोदना करते हुए अपनी अनमोल सेवाएँ दी।