☀ ~ आज का श्रीविद्या पंचांग~☀ ☀ 18 - May - 2022

0

 



जय श्री कृष्ण👏🏻

संस्थापक -  प. पू. गुरूदेव आचार्यडाँ देवेन्द्र जी शास्त्री (धारियाखेडी)

मन्दसौर (म. प्र.)

09977943155



☀ ~ आज का श्रीविद्या  पंचांग~☀


☀ 18 - May - 2022

☀ Mandsaur, India


☀~ श्रीविद्या  पंचांग ~☀

   

🔅 तिथि  तृतीया  11:38 PM

🔅 नक्षत्र :

               ज्येष्ठा  08:10 AM

               मूल  08:10 AM

🔅 करण :

           वणिज  01:19 PM

           विष्टि  01:19 PM

🔅 पक्ष  कृष्ण  

🔅 योग  सिद्ध  06:43 PM

🔅 वार  बुधवार  


☀ सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ    

🔅 सूर्योदय  05:45 AM  

🔅 चन्द्रोदय  09:48 PM  

🔅 चन्द्र राशि  वृश्चिक  

🔅 सूर्यास्त  07:06 PM  

🔅 चन्द्रास्त  07:27 AM  

🔅 ऋतु  ग्रीष्म  


☀ हिन्दू मास एवं वर्ष    

🔅 शक सम्वत  1944  शुभकृत

🔅 कलि सम्वत  5124  

🔅 दिन काल  01:20 PM  

       राक्षस संवत्सर

🔅 विक्रम सम्वत  2079  

🔅 मास अमांत  वैशाख  

🔅 मास पूर्णिमांत  ज्येष्ठ  


☀ शुभ और अशुभ समय    

☀ शुभ समय    

🔅 अभिजित  कोई नहीं

☀ अशुभ समय    

🔅 दुष्टमुहूर्त  11:59 AM - 12:52 PM

🔅 कंटक  05:19 PM - 06:13 PM

🔅 यमघण्ट  08:26 AM - 09:19 AM

🔅 राहु काल  12:26 PM - 02:06 PM

🔅 कुलिक  11:59 AM - 12:52 PM

🔅 कालवेला या अर्द्धयाम  06:39 AM - 07:32 AM

🔅 यमगण्ड  07:26 AM - 09:06 AM

🔅 गुलिक काल  10:46 AM - 12:26 PM

☀ दिशा शूल    

🔅 दिशा शूल  उत्तर  


☀ चन्द्रबल और ताराबल    

☀ ताराबल  

🔅 अश्विनी, भरणी, रोहिणी, आर्द्रा, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद, रेवती  

☀ चन्द्रबल  

🔅 वृषभ, मिथुन, कन्या, वृश्चिक, मकर, कुम्भ  


*विघ्नों और मुसीबते दूर करने के लिए*

19 मई 2022 गुरुवार को संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय रात्रि 11:02)

शिव पुराण में आता हैं कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ( पूनम के बाद की ) के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें और ये मंत्र बोलें :

ॐ गं गणपते नमः ।

ॐ सोमाय नमः ।

‪ *चतुर्थी‬ तिथि विशेष* 

चतुर्थी तिथि के स्वामी ‪भगवान गणेश‬जी हैं।

कैलेण्डर में प्रत्येक मास में दो चतुर्थी होती हैं।

पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी कहते हैं।अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।

शिवपुराण के अनुसार “महागणपतेः पूजा चतुर्थ्यां कृष्णपक्षके। पक्षपापक्षयकरी पक्षभोगफलप्रदा ॥

“ अर्थात प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को की हुई महागणपति की पूजा एक पक्ष के पापों का नाश करनेवाली और एक पक्षतक उत्तम भोगरूपी फल देनेवाली होती है ।

     *कोई कष्ट हो तो* 

हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं ।, कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या | ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं कि, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है | उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों |

 *छः मंत्र इस प्रकार हैं –*

ॐ सुमुखाय नम: : सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे ।

ॐ दुर्मुखाय नम: : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है 

ॐ मोदाय नम: : मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले । उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें ।

ॐ प्रमोदाय नम: : प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं । भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी । आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है । और  जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है ।

ॐ अविघ्नाय नम:

ॐ विघ्नकरत्र्येय नम:


☀~ श्रीविद्या  पंचांग ~☀


कार्यालय

श्रीविद्यापचांग

सिद्धचक्र विहार 

मन्दसौर मध्यप्रदेश 

आप का दिन शुभ हो 

भारतमाता की जय

09977943155

Tags

إرسال تعليق

0تعليقات
إرسال تعليق (0)