प्रभु भक्ति में ध्यान ओर मन दोनों लगाए, तभी उसकी सार्थकता है

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पेटलावद।

ईश्वर सर्वव्यापी है, आप कहीं भी रहें चाहे देश में परदेश में, बस गोविंद, राधा, श्री राम का जप व चिंतन करते रहे। किसी भी प्रकार के कष्ट आपके नजदीक नही आ पाएंगे।

यह बातें कथा प्रवक्ता पंडित लक्ष्य कृष्ण जी महाराज श्री धाम वृंदावन ने कही। आप रूपगढ़ मार्ग स्थित दुर्गा माता मंदिर पर चल रही श्रीमद भागवत कथा के दौरान उपस्थित श्रद्धालुओ के बीच बोल रहे थे। मूलतः पेटलावद निवासी  महाराज क्षेत्र के सबसे कम उम्र के भागवत कथा वाचक होकर कथा श्रवण करवा रहे है। आपने बचपन से अपनी सम्पूर्ण शिक्षा दीक्षा श्रीधाम वृदावन में पूर्ण की।

7 दिवसीय इस आयोजन की शुरुवात कलश यात्रा के साथ हुए। यात्रा में पंडित विपिन भट्ट सपत्नीक भागवत जी को शिरोधार्य कर आगे आगे चल रहे थे।





आपने कथा में भक्ति देवी की कथा की निवृत्ति धुन्धकारी गोकर्ण जी महाराज की कथा या व्यास गद्दी पर बैठने वाला केसा होना चाहिए इसके बारे में विस्तार से बताया।

 महाराज श्री ने बताया कि जो व्यास गद्दी पर बैठने वाले हैं वे आचार्य होते हैं उनका सर्वप्रथम ब्राह्मण के गुण होना आवश्यक है, इसके पश्चात धुम्रपान इत्यादि से रहित होना चाहिए। अपने बताया कि जो व्यक्ति धुम्रपान, तम्बाकू, चरस, गांजा, मदिरा, इत्यादि का भक्षण करता है तो वाह घोर नरक में जाकर नर्क का गमी होता है या जो व्यक्ति ऐसा आचारणो वाला होता है उसकी कभी मुक्ति नहीं होती।

यदि उसे मुक्ति प्राप्त करना है तो भागवत का श्रवण करे।

आपने उदाहरण देते हुए बताया कि भगवान भोले नाथ ने माता पार्वती को अमर कथा सुनाई। परन्तु माता पार्वती सो गई ओर वहां मौजूद कबूतर के जोड़े कथा सुनकर अमर हो गए। इसलिए प्रभु की भक्ति करे तो उसमें ध्यान और मन जरूर लगाए, तभी उसकी सार्थकता है।

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