नशे की चपेट में दम तोड़ती युवा पीढ़ी, आखिर कौन सप्लाई कर रहा ड्रग्स और नशीली दवाइयां...? -मेडिकल स्टोर्स पर भी बेची जा रही है दवाइयां

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मनोज जानी (फ़ोटो)
जो तस्वीरे सामने आई है वो यही दर्शा रही है कि युवा पीढ़ी तेजी से तरह तरह के नशे की आदि बन चुकी है। ऐसे नशे का चलन शहर ही नही अब गांवों यक भी पहुँच चुका है।
कभी शहरों में तेजी से फैलता यह कल्चर अब छोटे से कस्बों में जोरों पर है और कई युवा इस ड्रग्स और अन्य नशे से मौत के घाट उतर चुके है, लेकिन इन सप्लायरो और माफियाओं पर आज तक कोई कार्यवाही न होने के कारण पुलिस पर सवाल खड़े हो रहे है। 
पिछले दिनों की बात है झाबुआ ज़िले के पेटलावद नगर के 2 युवा बेसुध पुराना बस स्टेंड पर स्थित इलाही मार्केट की छत पर पड़े हुए थे। तभी इन्हे वहां दुकान पर काम करने वाले श्रमिको ने देखा और इन्हे उठाने की कोशिश की, लेकिन शुरुआत में ये नही उठे फिर आसपास के दुकानदारों को बुलाया और उन्होंने प्रयास किया तो ये दोनो उठे। जहां ये बेसुध पड़े थे वहां एक सीरिंज पड़ी हुई थी, जिसमें ब्लड जमा हुआ था और दोनो युवाओं के हाथ में सीरिंज लगाने के निशान साफ दिखाई दे रहे थे। हालांकि हम इसकी पुष्टि नहीं करते है कि वाकई इन्होंने सीरिंज लगाकर नशा किया लेकिन अगर यह सही है तो ये तस्वीरे बेहद डराने वाली है, कि आखिर हमारे शहर की युवा पीढ़ी किस दिशा में जा रही है। सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर इन्हे कौन इस तरह के नशे का आदि बना रहा है। पहले ही कई युवा ड्रग्स के शिकार होकर मौत की नींद सो चुके है या फिर नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती है और अब ये इंजेक्शन वाला नशा भी आना कहीं न कहीं हर समाज के लिए घातक है। 
फिल्म उड़ता पंजाब में ड्रग्स के नशे में डूबी दुनिया को पर्दे पर उतारा गया है इसमें दिखाया गया है कि नशे के चंगुल में फंस कर किस तरह लोग बर्बादी के कगार पर पहुंच रहे हैं। इन दिनों कुछ ऐसा ही युवाओं में देखने को मिल रहा है। यह कोई एक समाज के युवा वर्ग की बात नहीं है, बल्कि हर समाज का कोई न कोई युवा इस नशे की चपेट में आया हुआ है। शहर की युवा पीढ़ी में तेजी से नशे की लत फैल रही है। वहीं जवान हो रही पीढ़ी (12 से 20 साल) में नशे की लत तेजी से फैल रही है। यह नशा शराब या सिगरेट का नहीं है, बल्कि गांजा, ड्रग्स, स्मैक और इंजेक्शन से नशीली दवाओं का है। इस तरह का नशा करने की वजह से युवाओं की मानसिक स्थिति बिगड़ती जा रही है। कई का तो मनो चिकित्सालयों में इलाज भी चल रहा है, वहीं इस नशे के आदि होने के बाद से क्षेत्र में क्राईम भी बढ़ते जा रहे है। 
पिछले दिनों एक गौ सेवक पर भी इसी प्रकार के नशेड़ियों ने हमला किया था।
विज्ञान की नजर से देखें तो नशे की लत एक बीमारी है, जिसमें व्यक्ति का स्वयं पर नियंत्रण नहीं रहता। इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता कि ऐसे हालात में वह क्या कर गुजरे। आंकड़ों की हवा-हवाई बातें हम नहीं करेंगे, लेकिन जमीनी यथार्थ में आज यह युवा बेबस और लाचार होने के साथ ही पथ से निरंतर भटकता ही चला जा रहा है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि अधिकांशतः युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में आकर पतनोन्मुख होती चली जा रही है। नशीली दवाओं एवं नशीले मादक पदार्थों की पहुंच बड़े-बड़े महानगरों से होते हुए छोटे शहरों, कस्बों के गलियारों से होते हुए गांवों तक पहुंच चुकी हैं।
 बात करें तो पहले गांजे के नशे का चलन हुआ करता था, लेकिन धीरे-धीरे ड्रग्स और स्मैक की चपेट में यहां के युवा आ गए और आज स्थिति यह है कि ड्रग्स और नशीली दवाओं का सेवन युवा कर रहे है। इसमें सबसे अधिक शहरी क्षेत्र में चलन बन गया है। अधिकतर युवा ही इसकी चपेट में है। 
सोशल मीडिया के माध्यम से हिन्दू जागरण मंच के पदाधिकारी कई दफा इस नशे पर रोक लगाने और युवाओं को इसकी चपेट से बचाने के लिए मांग कर चुके है। वहीं कई लोगो ने कमेंट के माध्यम से ड्रग्स के नशे पर रोक लगाने की मांग कर अपना समर्थन दिया। आखिर बड़ा सवाल यही है कि आखिर पुलिस क्यों इन माफियाओं तक पहुंच नही पा रही है। पुलिस को अब इसे एक चुनौती के रूप में लेना होगा, ताकि युवाओं को इस मौत के नशे से दूर किया जा सके।
ड्रग्स का नशा युवाओं के दिलो दिमाग पर इस कदर छा जाता है कि 15 दिन में ये इसके आदी हो जाते हैं। इसकी तलब मिटाने के लिए ड्रग्स की लत वाले को जैसे-तैसे ड्रग्स का जुगाड़ करना पड़ता है। ड्रग्स नहीं मिलने पर युवाओं में गुस्सा होना, झगड़ा करना इत्यादि आदतें सामान्य हो जाती है। ऐसे में महंगे नशे का शौक पूरा करने के लिए कई युवा अपराध की राह चुन रहे हैं। स्कूल और कॉलेज में पढ़ रहे कई छात्र नशेडिय़ों के चंगुल में फंस जाते हैं। शुरू में इन्हें शौक के लिए ड्रग्स का नशा कराया जाता है। बाद में यह नशा छात्रों के जेहन में इतना उतर जाता है कि वे इसके आदी हो जाते हैं। 
ड्रग्स खरीदना आसान सी बात है, लेकिन कानून व्यवस्था से जुड़ी पुलिस को इसकी भनक तक नहीं कि अवैध ड्रग्स का कारोबार शहरो कस्बो में कहां और किस तरह हो रहा है। शहर में युवाओं को ड्रग्स के सौदागर खुलेआम ड्रग्स बेचते है और अब स्थिति यह बन गई है कि खुलेआम ड्रग्स की पुड़िया बिकने लगी है। शहर के युवाओं की रगों में नशा बसता जा रहा है। दिनों दिन नशे की जड़ें मजबूत होती जा रही हैं। ड्रग्स के धुएं से जवानी सुलग रही और नशीले इंजेक्शन नशों में उतारे जा रहे हैं। गली-गली में नशे के दीवाने झूमते दिख रहे हैं। नशे के आदी युवाओं की बर्बादी का मंजर खुलेआम शहर में चलता जा रहा है।

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