समरसता मातृशक्ति ने सुश्री वैष्णवी भट्ट का सम्मान किया, राधा कृष्ण का विवाहोत्सव मनाया गया।* राधा नाम लेने से भगवान सर्वस्व प्रदान कर देते है- सुश्री वैष्णवी भट्ट

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 समरसता मातृशक्ति  ने  सुश्री वैष्णवी भट्ट का सम्मान किया, राधा कृष्ण का विवाहोत्सव मनाया गया।* 


 राधा नाम लेने से भगवान सर्वस्व प्रदान कर देते है- सुश्री वैष्णवी भट्ट


 पेटलावद। तन्मय चतुर्वेदी

 ‘‘दुल्हा बने है श्याम सुंदर, दुल्हन हमारी प्यारी राधा रानी।‘‘ जैसे भजनों के साथ राधा कृष्ण के व्यावरा(विवाहोत्सव) धूम धाम से मनाया गया। श्री राधा रसामृत कथा के द्वितीय दिवस श्री राधा रानी और कृष्ण भगवान के विवाह का प्रसंग सजिव चित्रण करते हुए भक्तों ने विवाह प्रसंग का आनंद लिया।


 विवाह की सभी रस्में भक्तों ने निभाई-


इस विवाह के आयोजन में राधा कृष्ण की विवाह की तैयारियों में भक्तों ने स्थानीय कुंदकेश्वर महादेव मंदिर से भगवान कृष्ण की बारात ले कर आये। जिसका लाभ जानी परिवार ने लिया और भगवान की बारात निलकठेश्वर महादेव मंदिर पहुंची जहां पर नाचते गाते बारात का स्वागत किया गया।बारात में छोटे से कन्हैया के रूप में छोटे से बालक परिश्रुत तन्मय चतुर्वेदी को तैयार किया जो की सबको आकर्षीत कर रहा था और इसके पश्चात राधा जी की मूर्ति को भी विवाह मंडप में लाया गया और वैदिक मंत्रों और मंगलाचरण के साथ भगवान राधा कृष्ण का विवाह संपन्न करवाया।


 ब्रह्मा जी ने विवाह करवाया-


कथा प्रवक्ता वैष्णवी भट्ट ने बताया कि राधा कृष्ण का विवाह भांडिर वन में पुरोहित के रूप में ब्रह्मा जी की उपस्थिति में संपन्न हुआ। विवाह के समय राधा कृष्ण एक जैसे नजर आ रहे थे। जो भी उन्हें देख रहा था उनकी आंखे नहीं हट रही थी और मंत्र मुग्ध हो रहा था।  कई बार  तो ब्रह्मा जी भी जुगल किशोर जी की छवि देखकर सुध बुध खो बैठते है और विवाह रस्में भुलने लगते है। ब्रह्मा जी ने विवाह दक्षीणा में प्रभु के चरणों में अनन्य भक्ति लगातार बढते रहे मांगी।


 समरसता मातृशक्ति  ने सम्मान किया-


सामाजिक समरसता मातृशक्ति आयाम  कि बहने आज राधा रानी की कथा में सम्मिलित हुई जिसमें जिला प्रमुख मोना मेहता, जिला सह प्रमुख देव वाला सोनी, नगर प्रमुख हेमलता  बैरागी,रश्मि दवे, उषा पवार, दीप्ति परमार, साधना सोनी, समता सोनी उपस्थित रही एवं उन्होंने कथा प्रवक्ता सुश्री वैष्णवी भट्ट  का  अभिनंदन साल श्री फल भेंट कर किया  साथ ही स्मृति चिन्ह  भेंट किया।


 राधा जी के ईश्वर केवल कृष्ण ही है-


कथा प्रसंग में कथा प्रवक्ता सुश्री भट्ट ने बताया कि राधा रानी का ईश्वर सर्वेश्वर सबकुछ कृष्ण ही है।इस अनन्यता के सिद्वांत को हर कोई नहीं समझ सकता है यह प्रेम की सबसे उच्च स्थिति है।यह सहज घटित होती है।इसके लिए प्रयास नहीं करना पडते है। भगवान कृष्ण भी कहते है कि जो भी राधा नाम लेता है उस पर मै सर्वस्व लुटा देता हूॅ।


कथा प्रसंगों से मंत्र मुग्ध किया-


 कथा भाग के कई प्रसंग जिसमें भगवान की नौका विहार जिसमें वे राधा रानी और सखियों के साथ आनंद स्वरूप में रमण करते है। साथ ही दान प्रसंग जिसमें भगवान कृष्ण गोपियों से दूध दही अन्यत्र ले जाने का दान कर वसूल करते है। और इसके साथ ही कृष्ण भगवान का राधा बनना और राधा जी का कृष्ण स्वरूप लेना आदि लीलाओं को रोचक तरीके से प्रस्तुत कर भक्तगणों को मंत्र मुग्ध कर कथा का श्रवण करवाया जा रहा है।


कथा को जीवन में उतारना आवश्यक है-


कथा में विशेष रूप से कल्याण धाम थांदला के गुरूजी नारायण सिंह वरमंडलिया पधारे उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि भगवान राधा कृष्ण की यह कथा वास्तव में भगवान के प्रति प्रेम भक्ति बढाने के लिए इस कलयुग में एक मात्र साधन है। आप सभी लोग इस कथा को सुने और अपने जीवन में उतारे। कथा तो सब सुनते है पर अपने जीवन में नही उतारते है।


प्रतिदिन हो रहे महाभिषेक का लाभ द्वितीय दिवस महेंद्र अग्रवाल, कैलाश नागर और राजेंद्र दवे (लाला भाई) परिवार के द्वारा लिया गया। सुबह 9 बजे महाअभिषेक प्रारंभ हुआ जो की 11 बजे तक चला। इसके पश्चात 12ः15 बजे से कथा प्रारंभ हुई। द्वितीय दिवस की प्रसादी का लाभ सिद्वार्थ गुगलिया द्वारा लिया गया।

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