पेटलावद।
श्रीमद् भागवत कथा व्यासपीठ पर पेटलावद नगर की 17 वर्ष की बेटी ने प्रथम बार विराजीत हो कर भक्तों को श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह का श्रवणामृत करवाया। नगर को गौरवान्वित करते हुए नगर की बेटी सुश्री वैष्णवी भट्ट ने प्रथम बार व्यास पीठ पर विराजीत हो कर कथा का वाचन किया। पेटलावद नगर की प्रथम बेटी है जिसने श्रीमद् भागवत कथा का वाचन किया है।
नगर की बेटी सुश्री वैष्णवी भट्ट इन दिनों चैत्र नवरात्रि में आयदान परमार के नए संस्थान गंगा सागर के शुभारंभ अवसर पर भागवत कथा का वाचन कर रही है। जिसे सुनने के लिए सैकडो श्रद्वालु कथा प्रांगण में पहुंच रहे है।
कृष्ण का सामीप्य बंधन मुक्त करता है-
कथा वाचक सुश्री वैष्णवी भट्ट ने अपनी पहली कथा के माध्यम से बताया कि जो भगवान के समीप जाएगा उसके सारे बंधन खुल जायेगे और शत्रु भी चीर निंद्रा में सो जायेगें। और जब भगवान हम से दूर होगें और माया हमारे पास होगी तो हमारे सारे बंधन बंध जाएगे और श्रत्रु भी जागृत हो जाएगें। इसलिए मनुष्य को अपने जीवन के संपूर्ण विकास हेतु भगवान की प्रीति नहीं छोडना चाहिए। इसके साथ ही भागवत के कई प्रसंगों के माध्यम से भगवान की लीलाओं का वर्णन करते हुए संगीतमय कथा के माध्यम से भक्तों को भक्ति रस में ओत प्रोत करते हुए प्रथम बार के भागवत वाचन से ही सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया।
संस्कारों में ही धर्म है-
सुश्री वैष्णवी भट्ट में धर्म के संस्कार उनकी पीढीयों से चले आ रहे है। सुश्री भट्ट के पिता पं. अरविंद गोपाल भट्ट गुरूद्वारा मंदिर के आश्रम प्रभारी होने के साथ साथ कर्मकांड में अपनी विशेष पैठ रखते है। वहीं उनके दादा जी स्व.डॉ.देवेंद्र प्रसाद भट्ट और परदादा स्व. श्री दुर्लभराम जी भट्ट की गुरू के प्रति अगाथ आस्था और समर्पण ही सुश्री भट्ट को धर्म मार्ग पर आगे बढाने के लिए प्रेरणादायक रहा है।उन्होंने सतत कई वर्षाे से भागवत का अभ्यास ब्रज धाम वृंदावन से नियमित रूप से किया।
प्रथम भागवत का लाभ लेने वाले आयदान परमार का कहना है कि हमारे संस्थान के शुभारंभ पर मात्र 17 वर्ष की कन्या के द्वारा भागवत का वाचन हमारे लिए सौभाग्य का प्रतिक है।
भक्ति का साधन श्रीमद् भागवत
चर्चा में सुश्री भट्ट ने बताया कि भगवत कृपा और गुरूदेव के आर्शीवाद से भगवान ने इस सदकार्य के लिए चुना है। भागवत कथा का वाचन धर्म के प्रचार और स्वयं भगवान श्री कृष्ण की भक्ति का माध्यम है। मेरे द्वारा भगवान की आराधना का यह मार्ग चुना गया है। जिससे अधिक से अधिक श्रद्वालुओं को कलयुग में जीवन का सही उद्ेश्य बताने वाली श्रीमद् भागवत महापुराण का श्रवणामृत करवाया जाये।
कथा में प्रतिदिन भगवान के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन करते हुए,भक्तिरस की गंगा बहाई जा रही है। कथा की पूर्णाहुति दिनांक 15 अप्रैल को होगी।