सामाजिक समरसता मातृशक्ति आयाम के द्वारा बाबा साहब की जयंती मनाई गयी

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पेटलावद।


भारत को एक सर्वस्पर्शी व सर्वसमावेशी संविधान देकर बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर जी ने विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की नींव रखी जिससे देश का हर नागरिक समान अधिकार के साथ अपने सपनों को साकार कर सके। ऐसे महान राष्ट्र सेवक भारत रत्न "बाबासाहेब अम्बेडकर" जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि वंदन।


उक्त विचार बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर जयंती पर सामाजिक समरसता मातृशक्ति आयाम के द्वारा स्थानीय अंबेडकर बस्ती पेटलावद में बाबा साहब की जयंती के समारोह में अपने बोद्धिक में दिप्ती परमार ने प्रस्तुत किये।


उन्होंने कहा कि बाबा साहब एक महान विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री और समाज सुधारक के साथ वे एक प्रखर संस्कृतिवादी भी थे। भारतीयता से ओतप्रोत उनके विचार आज भी हम सबके लिए मार्गदर्शक सिद्धांत की तरह ही हैं। अखंड भारत के विचार को जीने और उसी के निमित्त अपना जीवन समर्पित करने वाले डा. आंबेडकर जी ने न केवल प्राण-प्रण से भारत विभाजन का विरोध किया अपितु वे यह आशा भी रखते थे कि अंततः भारत अखंड होगा। बाबा साहेब ने कहा था – ‘मैं हिंदुस्तान से प्रेम करता हूं। मैं जीवित रहूंगा तो हिंदुस्तान के लिए और मरूंगा तो हिंदुस्तान के लिए।’ उनके अनुसार, जब तक सामाजिक समरसता का भाव पूर्णतः राष्ट्र में उत्पन्न नहीं होगा तब तक राष्ट्रवाद की स्थापना नहीं हो पाएगी।’’ बाबा साहेब की जीवनी लिखने वाले सी.बी. खैरमोड़े ने बाबा साहेब के शब्दों को उदृत करते हुए लिखा है- “मुझमें और सावरकर में इस प्रश्न पर न केवल सहमति है बल्कि सहयोग भी है कि हिंदू समाज को एकजुट और संगठित किया जाए, और हिंदुओं को अन्य मजहबों के आक्रमणों से आत्मरक्षा के लिए तैयार किया जाए।’’


बाबा साहब के यही सिद्धांत समरस हिंदू राष्ट्र के आधार स्तंभ होंगे, इन्ही प्रेरणा के साथ  आज सामाजिक समरसता मातृशक्ति आयाम द्वारा बाबा साहब की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। और उत्साह के साथ बाबा साहब की जयंती मनाई।


इस अवसर पर सामाजिक समरसता मातृशक्ति आयाम जिला प्रमुख मोना मेहता, जिला सह प्रमुख देवबाला सोनी, नगर प्रमुख हेमलता बैरागी, मीडिया प्रभारी शिल्पा वर्मा, विनीता चतुर्वेदी, नेहा सामवेदी सहित सामाजिक समरसता मातृशक्ति आयाम के सभी सदस्यों के साथ बस्ती की कई मातृशक्ति उपस्थित थी।

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