छुट्टी तो फिर मिलेगी...ये आखिरी छुट्टी भी नहीं...!

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 छुट्टी तो फिर मिलेगी...ये आखिरी छुट्टी भी नहीं...!


राष्ट्रधर्म सर्वोपरि-मतदान अवश्य करे



-मनोज जानी 

9425486856


छुट्टी तो फिर मिलेगी, ये आखिरी छुट्टी भी नहीं। क्या इसके पहले आपने छूट्टी नहीं की ? महिलाएं इन छुट्टियों के दिनों में मायके जाती है एक अनुमान के मुताबिक यह आंकड़ा चोकाने वाला है। देशभर के परिवारों से बड़ी संख्या महिलाएं इस मायके जाती है। आप तो हर वर्ष जाती है लेकिन मतदान केवल पांच वर्ष में एक बार आता है। इसे न चुके नारी शक्ति के रूप में अपने महत्व को जानकर इस यज्ञ में अपनी आहुति देकर जाए। 4 दिन लेट जाएंगे तो कोई फर्क नही पड़ेगा, माता पिता, भैया भाभी के प्रेम में बढ़ोतरी होगी आप अमूल्य मत देकर अपने कर्तव्य का निर्वहन करके ही जाए। इसके साथ ही

आप जो मनोरंजन जैसे, पिकनिक, फ़िल्म, अन्य रुचिकर स्थानों की सैर आदि से प्राप्त करते हैं, न, वो कहीं भागा नहीं जा रहा हैं, यथावत है, "वोट" करने के बाद भी, ये सब हो सकता है।

आप के "वोट" नहीं करने से, आपके खुद के घर में आप की संतान भी "वोट" करने के बजाय मनोरंजन के लिए भागेगी और एक राष्ट्रहित की उपेक्षा करने वाला, आपके घर में होगा, जो आप करोगे, वही तो आपकी संतान करेंगी। आप "वोट" नहीं करके, अपने खुद के "स्व-तंत्र! का विरोध करते हैं, जो एक तरह से राष्ट्र का विरोध ही है ।

हाँ, सनद रहे, जब आप राष्ट्रहित में "vot" नहीं करते हैं, तब आप लोकतंत्र को खत्म करते हैं। यदि देश से लोकतंत्र खत्म हुआ, तो राष्ट्र और आपके भविष्य के लिए भयावह होगा। आप आज "वोट" नहीं करके, जो आपके अपने "स्व-तंत्र" के बजाय पुनः "पर-तंत्र" को आमंत्रण दें रहे हैं, न, कहीं आपके आमंत्रण पर, "पर-तंत्र" आ गया, तो आपकी हमेशा के लिए छुट्टी हो जाएगी, फिर "स्व-तंत्र" लाना लगभग असंभव होगा।

हाँ, यहाँ मुद्दा किस राजनैतिक दल को वोट करना है, ये महत्त्व नहीं है, बल्कि वोट अवश्य करना है यह मुद्दा है, आपको वोट का प्रतिशत बढ़ाना है, लोकतंत्र को स्थायित्व प्रदान करना है, आपका एक एक वोट "स्व-तंत्र" और "लोकतंत्र" को सुदृढ़ करेगा।

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