सतत आजीविका कार्यक्रम का शुभारम्भ, पर्यावरण स्वराज सम्मेलन 2024’ संवाद कार्यक्रम ~~~ जैविक खेती को अपनाकर लोगों को सही खाना सिखाएंगे तो आने वाले समय में कोई बच्चा कुपोषित नहीं होगा : विधायक डोडियार

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 सतत आजीविका कार्यक्रम का शुभारम्भ,  पर्यावरण स्वराज सम्मेलन 2024’  संवाद कार्यक्रम

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जैविक खेती को अपनाकर लोगों को सही खाना सिखाएंगे तो आने वाले समय में कोई बच्चा कुपोषित नहीं होगा : विधायक डोडियार



खवासा /झाबुआ । संजय पी लोढ़ा


 

कृषि एवं गैर कृषि आजीविका हस्तक्षेप के माध्यम से लघु एवं सीमान्त कृषक परिवारों की आय में वृद्धि तथा जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए आज “सतत आजीविका कार्यक्रम” के विधिवत शुभारम्भ की घोषणा सैलाना विधायक कमलेश्वर डोडियार ने की । बीस हजार आदिवासी परिवारों के लिए आर्थिक रूप से आजीविका सुरक्षित बनाने की दिशा में कार्य करने के लिए आज वाग्धारा संस्था तथा एक्सिस बैंक फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में इस कार्यक्रम का झाबुआ जिले के खवासा-थांदला में आयोजन हुआ ।

आयोजन में सैलाना विधायक कमलेश्वर डोडियार ने कहा कि आदिवासी समुदाय जलवायु परिवर्तन तथा जैविक खेती के लाभ के प्रति जागरूक हैं। आवश्यकता उन्हें सही तकनीक  एवं सही दिशा देने की है । यदि आज हम जैविक खेती को अपनाएंगे - लोगों को सही खाना सिखायेंगे , इस सही दिशा में काम करेंगे तो आने वाले समय में कोई बच्चा कुपोषित नहीं होगा। 


वाग्धारा के प्रयासों की सराहना

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विधायक डोडियार ने कहा कि यदि आज हमने अपने को संभाल लिया तो हम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित तथा स्वस्थ वातावरण का निर्माण कर सकेंगे। उन्होंने वाग्धारा द्वारा आदिवासी समुदाय की आजीविका सुधारने  के  किये किये जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए इस कार्यक्रम की सफलता की शुभकामनाएं दी तथा अपनी ओर से हर सम्भव सहयोग का आश्वासन दिया ।

कार्यक्रम के प्रारंभ में कमलेश्वर डोडियार सहित सभी अतिथियों ने  मृदा पूजन किया तथा इस अवसर  पर सजाई गयी देसी बीजों की रंगोली तथा स्वराज आधारित आदिवासी जीवनशैली दर्शाते विभिन्न पक्षों पर एक प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया जिसमें देसी बीज, आदिवासी वेशभूषा, उनके जीवन में काम आने वाली वस्तुएं तथा देसी जड़ी-बूटियाँ जो व्याधियों के उपचार में काम आती हैं शामिल थी । 


बीस हजार परिवारों के लिए एक परिवर्तनकारी कदम 

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वाग्धारा संस्था के सचिव जयेश जोशी ने अतिथियों का स्वागत किया तथा  इस प्रकार के कार्यक्रमों की सफलता के लिए समुदायिक सहयोग के महत्व पर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि यह परियोजना 250 गांवों में स्थित बीस हजार परिवारों के लिए एक परिवर्तनकारी कदम है। आधुनिक सतत विकास प्रथाओं एवं पारंपरिक ज्ञान को परस्पर साथ जोड़ने से  समुदाय में स्थायी परिवर्तन लाया जा सकता है।  उन्होंने आगे कहा कि उपयुक्त तकनीक तथा परंपरागत ज्ञान उन्नत विकास के लिए आवश्यक है । यह देखने की ज़रुरत है कि किस प्रकार स्वराज आधारित जीवनशैली निभाते हुए  गैर- निर्भरता वाला जीवन जी सकते हैं – खुशहाल कैसे रहें और पर्यावरण को नुक्सान न हो । विविध पेड़-पौधों – पशुधन और अनाज की जो विविधता आदिवासी जीवन में थी वह कहीं विकास की अंधी दौड़ में खो गयी है जिसे पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है।


हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को क्या देकर जा रहे हैं

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कार्यक्रम में थांदला एसडीएम तरुण जैन ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के प्रयासों  पर बल देते हुआ कहा कि यह एक सोच की बात है कि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को क्या देकर जा रहे हैं ।  उन्होंने भी समुदाय को सही तकनीक व दिशा देने की बात कही । अपनी और से कार्यक्रम की सफलता के लिए सहयोग देने का विश्वास दिलाया । कार्यक्रम में एक्सिस बैंक फाउंडेशन के  हर्षवर्द्धन धवन, अर्पिता रॉय करमाकर, सुबोध पुरानिक तथा इरफ़ान शेख ने भी भाग लिया तथा जनपद पंचायत अध्यक्ष कैलाश मूनिया तथा ए बी पी फेलो  शीतल मानकर भी इसमें उपस्थित थे ।


पर्यावरण स्वराज सम्मेलन 2024’  संवाद कार्यक्रम

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इसी अवसर पर 'पर्यावरण स्वराज सम्मेलन 2024’  संवाद कार्यक्रम भी हुआ  जिसमें प्रमुख प्रशासनिक  अधिकारियों, आदिवासी नेताओं, पर्यावरण विशेषज्ञों और निजी क्षेत्र के प्रतिभागियों ने अपनी भागीदारी दी । इस सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन तथा आदिवासी आजीविका जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई ।   

चर्चा में भाग लेते हुए कृषि मामलों के जानकार दीपक शर्मा ने आदिवासी समुदाय द्वारा प्रकृति से लेना और अन्य रूप में उसे पुनः प्रकृति को लौटने वाली वाली चक्रीय जीवनशैली के बारे  में बताया कि यह जीवनशैली जलवायु परिवर्तन से निपटने में कारगर साबित हुई है जिसे पुनः जीवन में अपनाने की आवश्यकता है ।

जलवायु परिवर्तन के सन्दर्भ में ही संदीप खानवलकर , निदेशक इकोसोल एन्वायरो इंदौर ने परंपरागत जीवनशैली तथा कृषि पद्धतियों को पुनः अपने जीवन में अपनाने पर दिया तथा स्थानीय भोजन की विशेषताओं से अवगत करवाया – स्थानीय फसलें जलवायु अनुकूल होने के साथ ही पोषण सुरक्षा भी प्रदान करती हैं ।

कृषि विशेषज्ञ पी एल पटेल ने परंपरागत रूप से उगाये जाने वाले भोजन पर जानकारी देते हुए बताया कि स्थानीय रूप से उपलब्ध भोजन जो कि पोषण से भरपूर था आज उसे भूल कर बाज़ार में मिलने वाले भोजन पर निर्भरता बढ़ गयी है. उन्होंने ज़ोर  दे कर कहा कि स्थानीय भोजन तथा वनोपज को पुनः अपनी भोजन थाली में लाने की आवश्यकता है. मानसिंह निनामा ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किये और अपने पूर्वजों द्वारा दिए गए ज्ञान और पारंपरिक खेती को पुनः अपने जीवन में अपनाने की बात कही ।

कार्यक्रम में वाग्धारा के परमेश पाटीदार ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया तथा माजिद खान  ने 4 वर्षों तक चलने वाले इस कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी । प्रभुलाल गरासिया द्वारा संचालित कार्यक्रम में रेणुका पोरवाल ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया ।

 


एक्सिस बैंक फाउंडेशन

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एक्सिस बैंक फाउंडेशन एक्सिस बैंक की समावेशी विकास और ग्रामीण भारत में स्थायी बदलाव की धरोहर को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह समाजसेवा और सामाजिक विकास के एजेंडे को केंद्रित और रणनीतिक दृष्टिकोण से बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था, जो भारत के प्रमुख वित्तीय संस्थानों में से एक है। यह फाउंडेशन समाज में सार्थक और स्थायी बदलाव को बढ़ावा देता है, जो समुदाय-केंद्रित दृष्टिकोण के माध्यम से भारत भर के वंचित ग्रामीण परिवारों के लिए आजीविका सुरक्षा को बढ़ाने का लक्ष्य रखता है।

 2011 में स्थापित 'सतत आजीविका कार्यक्रम' के माध्यम से, यह फाउंडेशन अपने साझेदारों, समुदायिक संस्थाओं और सरकारी विभागों के नेटवर्क के साथ मिलकर ग्रामीण समुदायों के लिए आय उत्पन्न करने के रास्ते तैयार करता है। इसका दृष्टिकोण यह है कि वह ऐसे सक्षम समुदायों का निर्माण करे, जिनके पास आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र हों, जिन्हें वही लोग संचालित करें, जिन्हें इसका लाभ मिल रहा है। 2025 तक, सतत आजीविका कार्यक्रम अपने सभी साझेदारों के सहयोग से 28 राज्यों में 2 मिलियन ग्रामीण परिवारों को आजीविका के अवसरों का एक समृद्ध पैकेज प्रदान करेगा।

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